हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हमारे ऊपर इस इंक़ेलाब को बाक़ी रखने के लिए काफ़ी ज़िम्मेदारियां हैं। जो भी इस मुल्क के किसी भी इलाक़े में रहता है, उस पर ज़िम्मेदारी है। ज़िम्मेदारी सिर्फ़ एक दो लोगों की नहीं, बल्कि पूरे अवाम में एक-एक शख़्स पर इस्लामी गणराज्य को बरक़रार रखने की ज़िम्मेदारी है।
यह परम कर्तव्य है, दुनिया के वाजिब मामलों में अहम है, सबसे ज़्यादा अहम है, इसकी अहमियत नमाज़ से भी ज़्यादा है। इसलिए कि यह इस्लाम की हिफ़ाज़त के अर्थ में हैंं
। जबकि नमाज़ फ़ुरूए दीन की हैसियत रखती है। यह हम सबके लिए वाजिब है, इसमें तुर्क, फ़ार्स या सीस्तानी व बलोचिस्तानी वग़ैरह का कोई फ़र्क़ नहीं है और यह वाजिब पूरी दुनिया के लिए है। सच्चे दीन की रक्षा पूरी दुनिया के लिए फ़र्ज़ है और यह पूरी दुनिया के लिए जो वाजिब काम हैं उन में सबसे ऊपर है।
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